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100 हनुमान चालीसा संकल्प: विधि, नियम और लाभ

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Written by mayavi

100 हनुमान चालीसा संकल्प: विधि, नियम और लाभ

परिचय

हनुमान चालीसा, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित 40 चौपाइयों का दिव्य ग्रंथ है, जो भगवान हनुमान जी की महिमा, शक्ति और कृपा का वर्णन करता है।
हनुमान जी को “संकटमोचन” और “बजरंगबली” के नाम से जाना जाता है।
विशेष रूप से 100 बार श्री हनुमान चालीसा का संकल्प लेकर पाठ करना जीवन के सभी संकटों को हरता है और अद्भुत आध्यात्मिक तथा भौतिक लाभ प्रदान करता है।


100 श्री हनुमान चालीसा संकल्प: विधि और नियम

संकल्प कैसे लें?

  1. संकल्प निर्धारण: तय करें कि कितने दिनों में 100 पाठ पूर्ण करने हैं (1, 3, 5, 7, 11, 21 या 40 दिन)।

  2. स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र धारण करें और साफ स्थान पर बैठें।

  3. आसन: चटाई, पूजा आसन या लकड़ी के पट्टे पर बैठें। ज़मीन पर सीधे बैठना वर्जित है।

  4. समय: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे के आसपास) या संध्या समय आदर्श है।

  5. दीपक और अगरबत्ती: पाठ से पहले दीपक और अगरबत्ती जलाएं।

  6. भाव और भक्ति: पूरे मन, श्रद्धा और एकाग्रता के साथ पाठ करें।

  7. संकल्प व प्रार्थना: पाठ प्रारंभ करने से पहले संकल्प लें और हनुमान जी से आशीर्वाद मांगें।

  8. समापन विधि: पाठ पूर्ण होने के बाद हनुमान जी को गुड़-चने का भोग लगाएं और आरती करें।


100 श्री हनुमान चालीसा संकल्प करने के प्रमुख लाभ

1. संकटों से मुक्ति

  • जीवन में आने वाली हर प्रकार की बाधाओं, रोगों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

2. मनोकामना पूर्ति

  • ईमानदारी से किया गया 100 पाठ आपकी सच्ची इच्छाओं की पूर्ति करता है।

3. कर्ज मुक्ति

  • जो व्यक्ति भारी कर्ज से परेशान हैं, उनके लिए 100 पाठ अत्यंत लाभकारी है। कर्ज से छुटकारा मिलने के योग बनते हैं।

4. स्वास्थ्य लाभ

  • रोग, भय, तनाव और मानसिक विकारों से मुक्ति मिलती है।

  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

5. ग्रह दोष शांति

  • शनि साढ़ेसाती, राहु-केतु दोष और अन्य अशुभ ग्रह प्रभावों से राहत मिलती है।

6. आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि

  • आत्मबल, साहस और कार्यक्षमता में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी होती है।

7. आध्यात्मिक उन्नति

  • साधना, ध्यान और भक्ति मार्ग में गहरी प्रगति होती है।

  • मन में स्थिरता, समर्पण और भक्ति की भावना बढ़ती है।

8. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा

  • घर और कार्यस्थल से बुरी नजर, टोटका, नकारात्मकता आदि दूर होती है।

9. मन की शांति:

  • हनुमान चालीसा का पाठ मानसिक शांति और संतुलन लाता है। यह चित्त को स्थिर करता है और मानसिक विकारों को दूर करता है, जिससे शांति और संतोष की भावना विकसित होती है।


विशेष सुझाव

  • मंगलवार और शनिवार को 100 पाठ करना विशेष फलदायी होता है।

  • लाल पुष्प, लाल वस्त्र और सिंदूर का उपयोग शुभ होता है।

  • सात्विक भोजन ग्रहण करें और नकारात्मक विचारों से बचें।

  • यदि संभव हो तो पाठ के दौरान सुंदरकांड का पाठ भी करें।


निष्कर्ष

100 श्री हनुमान चालीसा संकल्प एक अद्भुत साधना है, जो न केवल आपकी समस्याओं का निवारण करती है, बल्कि आपको अद्वितीय आत्मबल, भक्ति और सफलता प्रदान करती है।
हनुमान जी की कृपा से जीवन में स्थिरता, धन, स्वास्थ्य और सुख की वर्षा होती है।
श्रद्धा, नियम और समर्पण से किया गया 100 श्री हनुमान चालीसा पाठ निश्चित रूप से जीवन को नया आकार देता है।

“जो यह पढ़े हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।”


श्री हनुमान चालीसा

दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥

शंकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन॥

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥

अंतकाल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरु देव की नाईं॥

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

दोहा
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

निष्कर्ष

श्री हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ एक अत्यंत प्रभावशाली और लाभकारी साधना है। इस पाठ को श्रद्धा और समर्पण के साथ करने से न केवल जीवन के संकटों से मुक्ति मिलती है, बल्कि आत्मविश्वास, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति भी प्राप्त होती है। हनुमान जी की कृपा से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं, और हर क्षेत्र में सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

संकल्प लें, नियमों का पालन करें और पूरे मनोयोग से श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें। यकीनन, हनुमान जी की आशीर्वाद से आप अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं और जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं।
जय श्री राम, जय बजरंगबली!

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