- मकर संक्रांति का पर्व आने वाला है. पंचांग के अनुसार 14 जनवरी को पौष मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी की तिथि को सूर्य का राशि परिवर्तन होगा. सूर्य का गोचर मकर राशि में होगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य जब मकर राशि में आते हैं तो इसे मकर संक्रांति भी कहा जाता है. इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है. इसे सूर्य पूजन का सबसे बड़ा पर्व भी माना गया है.
मकर संक्रांति का महत्व
ज्योतिषियों के अनुसार इस बार मकर संक्रांति की शुरुआत रोहणी नक्षत्र में हो रही है, जो कि शाम 08 बजकर 18 मिनट तक होगा. बता दें कि इस नक्षत्र को शुभ नक्षत्र माना जाता है. कहते हैं कि इस नक्षत्र में स्नान दान और पूजन करना विशेष फलदायी होता है. साथ ही, इस दिन ब्रह्म योग और आनंदादि योग का भी निर्माण हो रहा है. ये संयोग भी अनंत फलदायी है.
मकर संक्रांति पर करें ये उपाय
मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व है. इस दिन जिन लोागें की कुंडली में शनि और सूर्य अशुभ हैं. वे इस दिन काले तिल का दान कर सकते हैं. काले तिल का दान करने से शनि की साढ़े साती और ढैय्या से राहत मिलती है. वर्तमान समय में मिथुन, तुला पर शनि की ढैय्या. धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़े साती चल रही है.
शनि देव ने तिल से किया था पिता का स्वागत
पौराणिक कथा के अनुसार जब सूर्य देव शनि देव के घर पर पधारे तो शनि देव ने उनका स्वागत काले तिल से किया. तिल सेहत के लिए बहुत ही उपयोगी माना गया है. तिल से स्वागत करने से सूर्य देव अत्यंत प्रसन्न हुए और उत्तम स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान किया. मान्यता है कि इसीलिए इस दिन काले तिल का दान शुभ माना गया है.