शनि के कारण अगर रोजगार, कारोबार या स्वास्थ्य में संकट आ रहें हो, तो इस तरह भगवान कृष्ण की आराधना करने से जल्द ही संकटों से मुक्ति मिल जाती है . इस दुनिया का पालन ईश्वर की शक्ति करती है और उस शक्ति का नाम कृष्ण है. बिना कृष्ण के न तो सृष्टि का अस्तित्व है और ना ही उसके पालन की . ग्रह, नक्षत्रदेवी, देवता, मानव, असुर, शुभ-अशुभ , सब कृष्ण के ही अधीन हैं. माना जाता है कि शनि देवता भी कृष्ण की शक्ति के ही अधीन है.
शनि का कृष्ण से क्या संबंध है?
शनि देव श्री कृष्ण के परम भक्तो मे से एक हैं.
उनके अंदर, न्याय, ईमानदारी और अनुशासन कृष्ण कृपा होने से ही आता है.
कृष्ण के ध्यान में डूबे होने के कारण उनको अपनी पत्नी से शाप भी मिला था.
सिवाय मधुरता के शनि के अंदर बहुत सारे गुण श्री कृष्ण की तरह हैं.
जो लोग श्रीकृष्ण के भक्त होते हैं,उनको शनि उन्हें छू भी नहीं सकते.
किस प्रकार नियमित रूप से श्री कृष्ण की पूजा करें कि शनि बेहतर हो ?
श्रीकृष्ण को गुरु रूप में स्थापित करें.
दोनों वेलओ मे उन्हें पीले फूल और तुलसी दल चढ़ाएं
उन्हें और स्वयं को चंदन का तिलक जरूर लगाएं
इसके बाद दोनों हाथ उठाकर हरि कीर्तन करें.
चाहें तो “कृष्ण कृष्ण” के नाम का जाप भी कर सकते है .
भोजन पूर्णरूप से सात्विक करें.