तीन मुखी रुद्राक्ष के पहनने से होने वाले लाभ: आध्यात्मिक, मानसिक, और शारीरिक संतुलन का स्रोत
तीन मुखी रुद्राक्ष एक अद्वितीय धार्मिक और आध्यात्मिक उपहार है जो विभिन्न संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका महत्व विशेष रूप से भारतीय धर्मशास्त्रों में उच्च है, जहां इसे आध्यात्मिक सद्गुणों की प्राप्ति और व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास के लिए एक शक्तिशाली माध्यम माना जाता है। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि तीन मुखी रुद्राक्ष को पहनने से हमें कैसे आध्यात्मिक, मानसिक, और शारीरिक स्वास्थ्य में लाभ हो सकता है।
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आध्यात्मिक विकास: तीन मुखी रुद्राक्ष का पहनना आध्यात्मिक विकास में सहायक हो सकता है। इस रुद्राक्ष में तीन मुख होते हैं, जो त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, और महेश) की प्रतीक हैं। इसे पहनने से व्यक्ति को आत्मा के साथ संबंध स्थापित करने और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में बढ़ने में मदद मिलती है।
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मानसिक स्थिति में सुधार: तीन मुखी रुद्राक्ष का पहनना मानसिक स्थिति में सुधार कर सकता है और व्यक्ति को मानसिक संतुलन में रखने में मदद कर सकता है। यह चिंता और तनाव को कम करने में सहायक होता है और शांति की भावना प्रदान करता है।
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शारीरिक स्वास्थ्य का सुरक्षा: तीन मुखी रुद्राक्ष का पहनना शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है। इसके धाराधार शक्ति से रुद्राक्ष व्यक्ति को शारीरिक तौर पर मजबूत बनाए रखने में सहायक होता है और विभिन्न रोगों से रक्षा करता है।
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तीनों गुणों की संतुलन: तीन मुखी रुद्राक्ष में तीनों गुण (रज, सत्ता, और तम) का संतुलन होता है, जो व्यक्ति को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है। इससे व्यक्ति जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने में सक्षम होता है।
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भूतपूर्व और भविष्य की सुरक्षा: इस रुद्राक्ष का पहनना व्यक्ति को भूतपूर्व और भविष्य की सुरक्षा में मदद करता है। यह शक्तिशाली रुद्राक्ष व्यक्ति को अज्ञात से रक्षा करता है और उसे सुरक्षित महसूस कराता है।
तीन मुखी रुद्राक्ष का पहनना एक व्यक्ति को आध्यात्मिक, मानसिक, और शारीरिक स्वास्थ्य में संतुलन लाने में मदद कर सकता है। यह एक अद्वितीय धार्मिक उपहार है जो व्यक्ति को उच्चतम अद्वितीयता की दिशा में बढ़ने में मदद कर सकता है और उसे सत्य, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति में मदद कर सकता है।
3 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि : –
सोमवार के दिन रुद्राक्ष को पहले शुद्ध जल से स्नान कराये, फिर पंचामृत( दूध-दही-शहद-घी-गंगाजल) के मिश्रण से स्नान कराये व अंत में गंगाजल से स्नान कराये | अब कुमकुम आदि से तिलक कर इसे पूजास्थल पर लाल कपडा बिछाकर अपने सामने रखे | घी का दीपक व धुप आदि लगाये | हाथ में थोडा जल लेकर संकल्प ले – हे परमपिता परमेश्वर मैं(अपना नाम और गोत्र बोले) भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्ति हेतु व मनवांछित फल की प्राप्ति हेतू इस रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर रहा हूं | मेरे कार्य में मुझे पूर्णता प्रदान करें | ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ दे |
अब आप दिए गये मन्त्रों में से किसी एक मंत्र के यथा संभव जप करें( कम से कम 10 माला अवश्य जप करनी चाहिए ) मंत्र इस प्रकार है : ॐ क्लीम नमः या ॐ नमः शिवाय | मंत्र जप के पश्चात् भगवान शिव का ध्यान करते हुए दीपक की लौं के ऊपर से रुद्राक्ष को 21 बार घुमाये और मन ही मन ॐ नमः शिवाय मंत्र के जप करते जाए |
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