पितृ पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दान-दक्षिणा दी जाती है. पितृ पक्ष में दान का विशेष महत्व है. श्राद्ध पक्ष में पितरों का पिंडदान, तर्पण और दान किया जाता. इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वो तृप्त होकर वापस लौट जाते हैं. धर्मग्रंथों में जिक्र है कि श्राद्ध के दिनों में पितर यमलोक से धरती पर आते हैं. अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर जाते हैं.
क्यों कहा जाता है सर्व पितृ अमावस्या जानिए महत्व-
इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि के बारे में जानकारी न हो, या फिर याद न हो, इसलिए इसे सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पितरों के निमित्त धूप देने से मानसिक शांति मिलती है । वैसे तो प्रत्येक अमावस्या तिथि को तर्पण और पिंडदान किया जा सकता है लेकिन पितृपक्ष के आखिरी दिन पड़ने वाली इस अमावस्या तिथि पर पिंडदान, श्राद्ध, व पितरों के निमित्त दान करने का खास महत्व होता है। पितरों का श्राद्ध व तर्पण करने से वे प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. जिससे आपके घर में समृद्धि और खुशहाली आती है।
सर्वपितृ अमावस्या जरूर करें ये काम
श्राद्ध के दिनों में पितर धरती पर आते हैं. उनका किसी भी रूप में अपने वंशजों के यहां आगमन हो सकता है. ऐसे में अगर उन्हें तृप्त न किया जाए, तो उनकी आत्मा अतृप्त ही लौट जाती है. इसलिए सर्वपितृअमावस्या के दिन पितरों को शांति देने के लिए और उनकी कृपा उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ जरूर करना चाहिए.साथ ही उसका पूरा फल पितरों को समर्पित करें. ऐसा करने से पितर प्रसन्न हो जाते हैं.
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