कोई भी काम करने से पहले उसके परिणामों के बारे में सोचें लेना चाहिए: एक शिक्षाप्रद कहानी
गाँव का एक छोटा सा बच्चा राजू बड़ा समझदार और सोचने-समझने वाला था। उसका मनोबल हमेशा उच्च रहता था और उसने जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देखा। एक बार उसने गाँव के एक बुजुर्ग से एक महत्वपूर्ण सिख सुनी जो उसके जीवन को पूरी तरह बदल दी।
राजू की दादी माँ बहुत ही सुन्दर और बड़ी खूबसूरत तुलसी के पौधे की देखभाल करती थीं। एक दिन राजू ने अपनी दादी से पूछा, “दादी, इस तुलसी का इतना ध्यान क्यों रखते हो?”
दादी माँ ने मुस्कराते हुए कहा, “राजू, यह तुलसी हमारे घर को सुरक्षित रखती है और हमें सुख-शांति प्रदान करती है। लेकिन इसकी कहानी सुनते हो?”
राजू ने उत्साहपूर्वक कहा, “हां, दादी, मुझे इसकी कहानी सुनना है!”
दादी माँ ने शुरू किया, “बहुत समय पहले की बात है, इस गाँव में एक बूटपूर्वक योजना बनाई गई थी। गाँव के लोगों को बड़े पौधों को गाँव के केंद्र में लगाने का आदान-प्रदान किया गया था।”
राजू ने उत्साहपूर्वक कहा, “वाह, वह योजना कैसी थी?”
दादी माँ ने कहा, “योजना बहुत ही अच्छी थी, लेकिन सबका ध्यान बस पौधों को लगाने पर ही था, परिणाम में कुछ भी सोचा नहीं गया था।”
राजू ने समझाया, “तो क्या हुआ?”
दादी माँ ने मुस्कराते हुए कहा, “परिणाम यह हुआ कि वे पौधे बड़े हो गए, लेकिन गाँव के आस-पास के इलाके सुखामुक्त रहे। बारिश और हवा के प्रभाव से गाँव के लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ा।”
राजू ने समझा कि दादी माँ ने कैसे एक सही योजना की अभाव में सोचा नहीं और सिर्फ पौधों को लगाने में ही समय और श्रम लगा दिया।
इस कहानी ने राजू को सिखाया कि कोई भी काम करने से पहले हमें उसके परिणामों को सोचना चाहिए। सही योजना बनाने और सही कदम उठाने से ही हम सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँच सकते हैं। राजू ने इस सिख को अपनाया और उसने अपने जीवन को एक नए पहलुओं से देखना शुरू किया।
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