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हनुमान बाहुक

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Written by mayavi

हनुमान बाहुक: 

परिचय

भारतीय सनातन परंपरा में भगवान हनुमान संकट मोचक, बलवान, बुद्धिमान और रोग नाशक देवता माने जाते हैं। उनकी भक्ति से मनुष्य सभी प्रकार के दुख, भय, रोग, और कष्टों से मुक्त हो सकता है। हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड जैसे अनेक प्रभावशाली पाठों की तरह ही “हनुमान बाहुक” भी एक अत्यंत चमत्कारी और दुर्लभ स्तोत्र है, जिसे विशेष रूप से शारीरिक पीड़ा, गठिया, मानसिक तनाव, और रहस्यमयी रोगों से मुक्ति के लिए पढ़ा जाता है।


हनुमान बाहुक का इतिहास

गोस्वामी तुलसीदास जी ने यह स्तोत्र उस समय रचा था जब वे भयंकर हाथ के दर्द से पीड़ित थे। अत्यधिक पीड़ा और व्यथा की अवस्था में उन्होंने अपने आराध्य प्रभु श्री हनुमान जी की आराधना करते हुए यह स्तोत्र लिखा। ऐसा कहा जाता है कि इसके पाठ से उनका दर्द धीरे-धीरे समाप्त हो गया और वे पूर्णतः स्वस्थ हो गए। तभी से यह स्तोत्र “हनुमान बाहुक” के नाम से प्रसिद्ध हुआ, जहां “बाहुक” का अर्थ होता है – हाथों की पीड़ा से राहत देने वाला स्तोत्र


हनुमान बाहुक का महत्व

  • शारीरिक कष्ट विशेषकर जोड़ों के दर्द, गठिया, लकवा आदि में अत्यंत लाभकारी।

  • मानसिक तनाव, भय, चिंता, अवसाद से राहत।

  • अदृश्य शक्तियों, भूत-प्रेत बाधा और टोने-टोटके से सुरक्षा।

  • सकारात्मक ऊर्जा, आत्मबल और इच्छाशक्ति में वृद्धि।


  • हनुमान बाहुक पाठ विधि

    • पाठ के लिए प्रातः या संध्या समय उपयुक्त होता है।

    • स्वच्छ वस्त्र पहनें, श्री हनुमान जी के चित्र या मूर्ति के सामने बैठें।

    • दीपक जलाएं, कुछ पुष्प चढ़ाएं।

    • शुद्ध मन और एकाग्रता के साथ पाठ करें।

    • रोग शांति के लिए कम से कम 21 दिनों तक नित्य पाठ करें

हनुमान बाहुक का पूरा पाठ

॥ श्री हनुमान बाहुक ॥

जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज विलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥

जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आवत देखि माया जब जानी। रूप बदलि भयउ बलवानी॥

बिनय कीन्हि बहुत प्रकारा। माया तजी गयउ मग सारा॥
जैसे निसिचर निकट बिहाई। लंका जारी सिया सुधि लाई॥

बानर रूप धरि बंधन बांधा। अग्नि देत लंका जन मांधा॥
ब्रह्मा सनादि सुरन्ह सिधाई। पूजत चरन गहि पद सिर नाई॥

तेहि प्रकार संकट हरि मेरा। मेटहु नाथ हनत दुष्ट घेरा॥
आवहु हनुमान गिरिजाना। संकट हरहु महा बलवाना॥

जय जय जय हनुमान कपीसा। संकट मोचन नाम अघ रीसा॥
नमो नमो जय नाम तुम्हारा। अगाध शक्ति गुन अविकारा॥

जौं परिहरे बिपति सब तारी। राम दुलारे तात बलकारी॥
नमो नमो हनुमान कराला। विकट रूप धरि मारहिं माला॥

शरण पड़े जो तुम्हहि पुकारे। ताहि भय निकट नहिं आवे॥
जय हनुमंत अति बलदाई। जय कपि बीर महा सुखदाई॥

नमो नमो जय संकटमोचन। नमो नमो जय दुख-विनाशन॥
बाहु पीड़ा हरहु महि भारी। हृदय राखि कपि मूरत प्यारी॥

बिनती करि कर जोरि मनाओँ। निज करि जानि जनों उबारौ॥
कृपा करहु बहु बीर उपकारी। बाहुक लिखे राखु बल भारी॥

लिखे तुलसीदास चित लाय। राम दुलारे कपि प्रभु भाय॥
बाहुक पढ़ै जो जन मन लाई। ता पर विपत्ति न कबहुँई आई॥

रोग दोष ता को निकट न जाई। संतन रक्षित सकल सुखदाई॥

॥ इति श्री हनुमान बाहुक संपूर्ण ॥

हनुमान बाहुक का अनुभव और लाभ

वर्षों से लाखों श्रद्धालुओं ने यह अनुभव किया है कि नियमित रूप से हनुमान बाहुक का पाठ करने से:

  • लंबे समय से चल रहे जोड़ों के दर्द में आराम मिला।

  • नींद में भय, डर, मानसिक अस्थिरता समाप्त हुई।

  • दुर्घटनाओं से बचाव हुआ।

  • घर के वातावरण में शांति और सकारात्मकता बनी।

    हनुमान बाहुक का अनुभव और लाभ

    वर्षों से लाखों श्रद्धालुओं ने यह अनुभव किया है कि नियमित रूप से हनुमान बाहुक का पाठ करने से:

    • लंबे समय से चल रहे जोड़ों के दर्द में आराम मिला।

    • नींद में भय, डर, मानसिक अस्थिरता समाप्त हुई।

    • दुर्घटनाओं से बचाव हुआ।

    • घर के वातावरण में शांति और सकारात्मकता बनी।

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