जय माता दी! 🙏 चैत्र और शारदीय नवरात्रि में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इसे महाअष्टमी भी कहा जाता है और इस दिन माँ दुर्गा के आठवें स्वरूप माँ महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन कन्या पूजन (Kanya Pujan) का भी विधान होता है, जिसे अष्टमी पूजन का सबसे महत्वपूर्ण भाग माना जाता है।
महाअष्टमी पूजन की कथा (Ashtami Pujan Ki Kahani)
पुराणों के अनुसार, एक बार एक भक्तराज ने देवी दुर्गा की कठोर तपस्या की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माता प्रकट हुईं और वरदान मांगने को कहा। भक्त ने माँ से मोक्ष की प्राप्ति और पापों से मुक्ति का उपाय पूछा।
माँ ने कहा, “जो व्यक्ति नवरात्रि में अष्टमी के दिन कन्या पूजन करता है, वह मेरे आशीर्वाद से पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।” इसके बाद से अष्टमी पूजन की परंपरा शुरू हुई।
एक अन्य कथा के अनुसार, जब महिषासुर राक्षस का अत्याचार बढ़ गया था, तब देवताओं की प्रार्थना पर माँ दुर्गा ने अष्टभुजा रूप में अवतार लिया और महिषासुर का वध किया। इस दिन को महाअष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
अष्टमी पूजन की विधि (Ashtami Pujan Vidhi)
1. घटस्थापना और अखंड ज्योत
यदि आपने नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की है, तो इस दिन माँ दुर्गा को विशेष भोग अर्पित करें। घर में अखंड ज्योत जल रही हो तो उसका विशेष ध्यान रखें।
2. स्नान और संकल्प
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सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और नए या स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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माता की पूजा के लिए संकल्प लें और उनके आठवें स्वरूप माँ महागौरी की उपासना करें।
3. देवी पूजन
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माँ महागौरी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाएं।
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फूल, नारियल, सिंदूर, चंदन, अक्षत और विशेष भोग अर्पित करें।
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दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और “ॐ देवी महागौर्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
4. कन्या पूजन (Kanya Pujan)
अष्टमी के दिन कन्या पूजन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
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2 से 10 साल की नौ कन्याओं और एक बालक (भैरव रूप) को आमंत्रित करें।
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उनके पैर धोकर उन्हें साफ आसन पर बैठाएं।
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उन्हें हलवा, पूरी, चने का भोग अर्पित करें।
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अंत में दक्षिणा और उपहार देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
अष्टमी व्रत का महत्व (Significance of Ashtami Vrat)
1️⃣ पापों से मुक्ति – अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2️⃣ सुख-समृद्धि – इस दिन माँ की आराधना करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
3️⃣ रोग और संकटों से रक्षा – माँ दुर्गा सभी प्रकार के रोग और संकटों से रक्षा करती हैं।
4️⃣ दुर्गा शक्ति की प्राप्ति – इस व्रत से व्यक्ति को शक्ति, ज्ञान और आत्मबल प्राप्त होता है।
अष्टमी के दिन विशेष भोग (Ashtami Bhog)
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हलवा, पूरी और चना (पारंपरिक भोग)
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काले चने – माँ को विशेष प्रिय होते हैं
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नारियल और गुड़ – माँ को समर्पित किया जाता है
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केसर और मिश्री – प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है
महाअष्टमी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
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अष्टमी तिथि प्रारंभ: 5 अप्रैल 2025, सुबह
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अष्टमी तिथि समाप्त: 6 अप्रैल 2025, सुबह
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कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त: 5 अप्रैल 2025 को दिन में
निष्कर्ष (Conclusion)
महाअष्टमी का दिन माँ दुर्गा की कृपा पाने का सबसे पावन अवसर होता है। इस दिन कन्या पूजन करने से घर में खुशहाली, समृद्धि और शांति आती है। इस वर्ष 5 अप्रैल 2025 को महाअष्टमी पूजन विधिपूर्वक करें और माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करें।
🙏 जय माता दी! 🚩