एक बुढ़िया थी| उसके सात बेटे और एक बेटी थी| बेटी की शादी हो चुकी थी| जब भी उसके बेटे की शादी होती, फेरों के समय एक नाग आता और उसके बेटे को डस लेता था| बेटा वही ख़तम हो जाता और बहू विधवा| इस तरह उसके छह बेटे मर गये | सातवे की शादी होनी बाकी थी| इस तरह अपने बेटों के मर जाने के दुख से बुढ़िया रो रो के अंधी हो गयी थी| भाई दूज आने को हुई तो भाई ने कहा की मैं बहिन से तिलक कराने जाऊँगा| माँ ने कहा ठीक है| उधर जब बहिन को पता चला की उसका भाई आ रहा है तो वह खुशी से पागल होकर पड़ोसन के गयी और पूछने लगी की जब बहुत प्यारा भाई घर आए तो क्या बनाना चलिए? पड़ोसन उसकी खुशी को देख कर जलभुन गयी और कह दिया कि,” दूध से रसोई लेप, घी में चावल पका| ” बहिन ने एसा ही किया| उधर भाई जब बहिन के घर जा रहा था तो उसे रास्ते में साँप मिला| साँप उसे डसने को हुआ| भाई बोला- तुम मुझे क्यू डस रहे हो? साँप बोला- मैं तुम्हारा काल हूँ| और मुझे तुमको डसना है| भाई बोला- मेरी बहिन मेरा इंतजार कर रही है| मैं जब तिलक करा के वापस लौटूँगा, तब तुम मुझे डस लेना| साँप ने कहा- भला आज तक कोई अपनी मौत के लिए लौट के आया है, जो तुम आऔगे| भाई ने कहा- अगर तुझे यकीन नही है तो तू मेरे झोले में बैठ जा| जब मैं अपनी बहिन के तिलक कर लू तब तू मुझे डस लेना| साँप ने एसा ही किया| भाई बहिन के घर पहुँच गया| दोनो बड़े खुश हुए| भाई बोला- बहिन, जल्दी से खाना दे, बड़ी भूख लगी है| बहिन क्या करे| न तो दूध की रसोई सूखे, न ही घी में चावल पके| भाई ने पूछा- बहिन इतनी देर क्यूँ लग रही है? तू क्या पका रही है? तब बहिन ने बताया कि एसे एसे किया है| भाई बोला- पगली! कहीं घी में भी चावल पके हैं , या दूध से कोई रसोई लीपे है| गोबर से रसोई लीप, दूध में चावल पका|