स्वर्ण को आंतरिक खुशी देने वाली धातु कहा गया है। इससे पहनने से मन में खुशी महसूस होती है। स्वर्ण आभूषण पहनने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है। इसे पहनने वाले के शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। स्वर्ण में आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ाने की शक्ति होती है। इसे पहनने से बृहस्पति का प्रभाव बढ़ता है और जो लोग आध्यात्मिक उन्न्ति चाहते हैं वे उस पथ पर चल पड़ते हैं। स्वर्ण से आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए स्त्रियां इसे बाएं हाथ में पहनें और पुरुष दाहिने हाथ में। मेष, कर्क, सिंह, और धनु राशि वालों के लिए स्वर्ण बहुत लाभदायक होता है। वृश्चिक और मीन राशि वालों को मिलाजुला असर होता है। वृषभ, मिथुन, कन्या और कुंभ के लिए सोना पहनना दिक्कतभरा हो सकता है। तुला और मकर राशि वालों को सोना पहनने से बचना चाहिए।
महिलाओं के लिए सोना पहनना अत्यंत शुभ होता है। इससे वे अपनी भावनाएं खुलकर व्यक्त कर पाती हैं। जन्मकुंडली में यदि जल तत्व वाले ग्रहों की प्रधानता हो तो सोना पहनने से वह संतुलित होता है
जिन लोगों को पेट के रोग हों या मोटापे की समस्या हो उन्हें सोना नहीं पहनना चाहिए। जिन लोगों को गुस्सा आता हो वे भी सोना न पहनें। यदि जन्म कुंडली में गुरु खराब स्थिति में हो तो भी सोना नहीं पहनें। लोहा, कोयला, बिल्डिंग मटेरियल या शनि से संबंधित बिजनेस करने वालों को सोना पहनने से बचना चाहिए। बुजुर्ग महिलाओं और गर्भवती स्त्रियों को सोना नहीं पहनना चाहिए। शास्त्रों में कमर के नीचे के अंग में स्वर्ण धारण करना प्रतिबंधित है, कई महिलाएं पायल के रूप में सोना पहन लेती हैं जो गलत है। इससे समृद्धि में कमी आती है। स्वर्ण लक्ष्मी का प्रतीक है इसलिए कमर के नीचे पहनने से उनका अपमान होता है। तिजोरी में स्वर्ण के साथ अन्य कोई भी धातु नहीं रखना चाहिए। अपने सिरहाने स्वर्ण रखकर सोने की मनाही है। इससे नींद में खलल होता है।
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