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षटतिला एकादशी: व्रत कथा और महत्व

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Written by Mayavi Guruji

 

हिन्दू धर्म में व्रतों का महत्व अत्यधिक है, और इनमें से एक विशेष व्रत है “षटतिला एकादशी,” जो भगवान विष्णु की पूजा करता है और भक्तों को आपसी समर्थन और सौभाग्य की प्राप्ति का आशीर्वाद देता है। इस व्रत की कथा भी विशेष महत्वपूर्ण है, जो हमें इस अद्भुत पर्व के महत्व को समझाती है।

 

 

षटतिला एकादशी की कथा: ऋषि मंदराचल का उपकार

कहानी का प्रारंभ: बहुत समय पहले की बात है, ऋषि मंदराचल नामक एक तपस्वी ऋषि अपने आश्रम में ध्यान और तप से लगे रहते थे। उनकी प्रार्थना और तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनसे कोई वरदान मांगने का अधिकार दिया।

वरदान की मांग: ऋषि मंदराचल ने भगवान से यह वरदान मांगा कि वह अपने आश्रम के पास बसे हुए गांव के लोगों को अपने आश्रम में भोजन प्रदान कर सकें। भगवान विष्णु ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और उन्हें यह वरदान प्रदान किया।

व्रत की शुरुआत: ऋषि मंदराचल ने गांववालों को बुलाकर उन्हें अपने आश्रम में भोजन के लिए आमंत्रित किया। वह बहुत संख्या में लोग आए और ऋषि ने अपने तपस्या और प्रार्थना के साथ भगवान विष्णु की पूजा की।

कनकाबाबू प्रसाद: ऋषि मंदराचल ने गांववालों को अनूठे रूप में कनकाबाबू प्रसाद दिया, जिससे सभी उनके आश्रम में भोजन करने वालों को समृद्धि, सौभाग्य, और सुख मिला।

भगवान विष्णु का आगमन: गांववालों की कृतज्ञता के लिए और ऋषि की परिश्रम को देखकर, भगवान विष्णु ने ऋषि के सामने स्वयं को प्रकट किया और उन्हें आशीर्वाद दिया।

ऋषि की प्रार्थना: ऋषि मंदराचल ने भगवान से अपने आश्रम में इस तरह के भोजन को आयोजित करने का सुझाव दिया और इस दिन की विशेषता को बताया। भगवान ने उनकी प्रार्थना सुनी और इस दिन को “षटतिला एकादशी” के रूप में स्थापित किया।

षटतिला एकादशी का महत्व:

  1. समृद्धि और सौभाग्य: षटतिला एकादशी का व्रत करने से भक्तों को समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  2. आपसी समर्थन: इस व्रत के दिन भक्त आपसी समर्थन और भाईचारे की भावना को महत्वपूर्ण मानते हैं और एक दूसरे के साथ मित्रता को सुधारते हैं।
  3. धार्मिक साधना: यह व्रत भक्तों को धार्मिक साधना करने का अवसर प्रदान करता है और उन्हें आचार्य और धर्मग्रंथों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित करता है।
  4. भगवान विष्णु की पूजा: षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को उनके आशीर्वाद से लाभ होता है और उनका सारे दुःख दूर होता है।
  5. दान और सेवा: इस दिन भक्त दान और सेवा का कार्य करके सामाजिक उत्थान में योगदान करते हैं और धर्मिकता की भावना को मजबूत करते हैं।

षटतिला एकादशी व्रत का अनुष्ठान करने से भक्त अपने जीवन को सफलता, समृद्धि, और सौभाग्य से भर देता है और भगवान की कृपा को प्राप्त करता है।

 

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