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जाने सोमवार का व्रत रखने से क्या क्या लाभ मिलता है

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Written by Mayavi Guruji

सोमवार (Monday) को चंद्रमा के पुजन का दिन माना जाता है और इसे शिवजी का दिन माना जाता है। सोमवार का व्रत रखने के कई धार्मिक और सामाजिक लाभ हो सकते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. शिवजी की कृपा:

    • सोमवार को शिवजी का दिन माना जाता है और इस दिन उनकी पूजा करने से भक्तों को उनकी कृपा मिल सकती है। शिवजी की पूजा और व्रत से व्यक्ति को शांति, संतुलन, और आत्मा की उन्नति का अनुभव हो सकता है।
  2. चंद्रग्रह की शांति:

    • सोमवार को चंद्रग्रह (चंद्रमा) का दिन माना जाता है, और इस दिन उसकी पूजा से जीवन में शांति और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।
  3. परिवार की रक्षा:

    • सोमवार का व्रत रखकर व्यक्ति अपने परिवार की रक्षा करने का संकल्प लेता है और परिवार के सभी सदस्यों के लिए शिवजी से कृपा की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करता है।
  4. भक्ति और श्रद्धा:

    • सोमवार का व्रत रखकर व्यक्ति अपने आत्मिक विकास के लिए समर्पित रहता है। इसके माध्यम से वह भक्ति और श्रद्धा के साथ अपने ईश्वर के प्रति अपना समर्पण दिखा सकता है।
  5. सामाजिक एकता:

    • सोमवार का व्रत एक सामाजिक आदान-प्रदान का भी हिस्सा बना सकता है, क्योंकि इस दिन लोग शिवजी की पूजा और अपने समूह में भगवान के प्रति आस्था का इज़हार करते हैं।
सोमवार का व्रत विशेष रूप से श्रावण मास में महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन यह हर महीने के पहले सोमवार को भी किया जा सकता है। यह व्रत श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक और मानवता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।

धार्मिक मान्यता है कि सोमवार का व्रत करने से हर व्रती को दु:ख, कष्ट और परेशानियों से छुटकारा मिलता है और वह सुखी, निरोगी और समृद्ध जीवन का आनंद पाता है।

श्रावण माह में सोमवार को जो भी पूरे विधि-विधान से शिवजी की पूजा करता है, वो शिवजी का विशेष आशीर्वाद पा लेता है। इस दिन व्रत करने से बच्चों की बीमारी दूर होती है, दुर्घटना और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है, मनचाहा जीवनसाथी मिलता है,

वैवाहिक जीवन में आ रहीं परेशानियों का अंत होता है, सरकार से जुड़ीं परेशानियां हल हो जाती हैं। श्रावण के महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने व अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए श्रावण सोमवार का विशेष महत्व है।

शिवमहापुराण के अनुसार शिव की उपासना व व्रत करने से मनुष्य के समस्त रोग और व्याधि कोसों दूर भागती है।

व्रत के नियम –

1. व्रतधारी को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पानी में कुछ काले तिल डालकर नहाना चाहिए।

2. भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है, परंतु विशेष अवसर व विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से अभिषेक की विधि प्रचलित है।

3. तत्पश्चात ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र के द्वारा श्वेत फूल, सफेद चंदन, चावल, पंचामृत, सुपारी, फल और गंगाजल या साफ पानी से भगवान शिव और पार्वती का पूजन करना चाहिए।

4. मान्यता है कि अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप हो, गायत्री मंत्र हो या फिर भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र।

5. शिव-पार्वती की पूजा के बाद श्रावण के सोमवार की व्रत कथा करें।

6. आरती करने के बाद भोग लगाएं और घर-परिवार में बांटने के पश्चात स्वयं ग्रहण करें।

7. दिन में केवल एक समय नमकरहित भोजन ग्रहण करें।

8. श्रद्धापूर्वक व्रत करें। अगर पूरे दिन व्रत रखना संभव न हो तो सूर्यास्त तक भी व्रत कर सकते हैं।

9. ज्योतिष शास्त्र में दूध को चंद्र ग्रह से संबंधित माना गया है, क्योंकि दोनों की प्रकृति शीतलता प्रदान करने वाली होती है। चंद्र ग्रह से संबंधित समस्त दोषों का निवारण करने के लिए सोमवार को महादेव पर दूध अर्पित करें।

10. समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए शिवलिंग पर प्रतिदिन गाय का कच्चा दूध अर्पित करें। ताजा दूध ही प्रयोग में लाएं, डिब्बाबंद अथवा पैकेट का दूध अर्पित न करें।

 

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