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तुलसी विवाह पूजन विधि: धार्मिक संस्कृति में एक शुभ अवसर

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Written by Mayavi Guruji

तुलसी विवाह पूजन विधि: धार्मिक संस्कृति में एक शुभ अवसर

हिन्दू धर्म में विभिन्न त्योहार और पर्वों का महत्वपूर्ण स्थान है, और इनमें से एक अद्भुत और शुभ अवसर है “तुलसी विवाह”। यह पर्व तुलसी माता के विवाह के रूप में मनाया जाता है और भगवान विष्णु के साथ उनकी विशेष प्रेम कथा को याद करता है। इस लेख में, हम जानेंगे तुलसी विवाह पूजन की विधि और महत्व के बारे में।

तुलसी विवाह: पूर्व संस्कृति का अंग

पूजन का समय: तुलसी विवाह का आयोजन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के द्वादशी तिथि को किया जाता है, जो अक्टूबर और नवम्बर के बीच होता है। इस दिन विशेष रूप से तुलसी पूजन किया जाता है और उनकी मूल्यवान रात्रि के दौरान उनकी कलियों का विवाह किया जाता है।

 

तुलसी विवाह पूजन की विधि:

  1. तुलसी पूजन की शुरुआत: पूजन की शुरुआत में तुलसी माता की मूर्ति को साफ पानी से धोकर सुंदर सा वस्त्र पहनाया जाता है।
  2. पूजन स्थल: एक विशेष स्थान को शुभ बनाने के लिए एक छोटा सा मंच तैयार किया जाता है जहां तुलसी माता की मूर्ति रखी जाती है।
  3. कलश स्थापना: एक स्वर्ण या रजत कलश को स्थापित करते हुए उसमें गंगाजल और सुगंधित द्रव्य डाला जाता है।
  4. तुलसी कलश: एक छोटी सी पात्री में तुलसी की पत्तियां और फूलों को सजाकर उसे कलश के पास रखा जाता है।
  5. पूजा अर्चना: तुलसी माता को अर्चना के लिए तुलसी का अर्चना चालीसा के साथ किया जाता है।
  6. मंत्रों का पाठ: पूजा के दौरान विशेष मंत्रों का पाठ किया जाता है, जो तुलसी माता की कृपा और आशीर्वाद को आमंत्रित करने के लिए होते हैं।
  7. तुलसी के पुष्प चढ़ाई: पूजा के अंत में भक्त तुलसी माता के सामने चढ़ाई जाने वाले फूलों को समर्पित करते हैं।
  8. प्रासाद वितरण: अन्त में, भक्तों को प्रासाद वितरित किया जाता है जो तुलसी माता की कृपा को प्राप्त करने का सुअवसर बनाता है।

तुलसी विवाह का महत्व:

  1. तुलसी विवाह को भगवान विष्णु और तुलसी माता के विवाह के रूप में मनाने से भक्तों को सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती हैं।
  2. इस पूजा से तुलसी माता की कृपा से विवाहित जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और परिवार को धार्मिक रूप से समृद्धि मिलती है।
  3. तुलसी की पूजा से आत्मा का शुद्धि होती है और व्यक्ति भगवान के साथ एकात्म बनता है।

तुलसी विवाह पूजन विधि को समझने और मनाने से हम अपने जीवन में धार्मिकता, प्रेम, और शांति का आदान-प्रदान कर सकते हैं। इस पवित्र दिन को पूरे श्रद्धा भाव से बिताएं और तुलसी माता के आशीर्वाद का आनंद लें।

 

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