Astrology

ज्योतिष : क्या और क्यों?

Avatar
Written by Mayavi Guruji

 

आकाश की तरफ नजर डालते ही दिमाग में सवाल पैदा होता है कि ग्रह-नक्षत्र क्या होते हैं? इनमें से कुछ दिन में और कुछ रात में क्यों छुप जाते हैं?


इन्हीं सवालों की वजह से आदमी ने आकाश के ग्रह-तारों को देखना-परखना-समझना शुरू किया। धीरे-धीरे ग्रहों-नक्षत्रों की चाल आदमी की समझ में आने लगी।

 


‘ज्योतिषां सूर्यादि ग्रहाणां बोधकं शास्त्र्‌म’ इसका मतलब यह हुआ कि ग्रह (ग्रह, नक्षत्र, धूमकेतु आदि) और समय का ज्ञान कराने वाले विज्ञान को ज्योतिष अर्थात ज्योति प्रदान करने वाला विज्ञान कहते हैं।


एक तरह से यह रास्ता बतलाने वाला शास्त्र है। जिस शास्त्र से संसार का ज्ञान, जीवन-मरण का रहस्य और जीवन के सुख-दुःख के संबंध में ज्योति दिखाई दे वही ज्योतिष शास्त्र है।


इस अर्थ में वह खगोल से ज्यादा अध्यात्म और दर्शनशास्त्र के करीब बैठता है।सारे ग्रह एक साथ डूब क्यों नहीं जाते? सूरज, प्रतिदिन पूर्व दिशा से ही क्यों उगता है?


ऐसा माना जाता है कि ज्योतिष का उदय भारत में हुआ, क्योंकि भारतीय ज्योतिष शास्त्र की पृष्ठभूमि 8000 वर्षों से अधिक पुरानी है.

ज्योतिष शास्त्र को विभिन्न प्रकारों से समझा जा सकता हैं उसमे से कुछ इस प्रकार है

 


1 .फलित ज्योतिष :-जन्मकालीन सुचना केंआधार से ,गणित के मध्यम से ग्रह लग्न राशिः द्वारा फल कथन करना है जिसमे कुछ निष्कर्षो को आधार मान कर फल कथन किया जाता है


2 .नक्षत्र ज्योतिष :27 नक्षत्रो को आधार मान कर फलादेश किया जाता है जो जन्मकालीन समय से लेकर जीवन के अंत तक अपनी गोचरीय संचरण द्वारा फलीभूत होती है


3. अंकज्योतिष :-यह ब्रम्हांड शून्य है और 1 से 9 तक की संख्या ही सृष्टि की नियामक है ज्योतिष शास्त्र में गणितीय पद्यति द्वारा फलकथन करने की प्राचीन परम्परा विद्यमान रही है अंक ज्योतिष एक ऐसा ही मध्यम है जो जीवन के प्रत्येक पहलु को अंको के द्वारा विशलेषित करता है


4.प्रश्न ज्योतिष:- जीवन का प्रत्येक पल अपने आप में रहस्य लिए हुए है प्रश्न का समय ही प्रश्न का उत्तर निर्धारित करता है हमारे ज्योतिष शास्त्र में समय का बहुत महत्व है प्रश्न के मध्यम से विचारणीय विषय की सिद्धि असिद्धि का पता चलता है


5. प्रश्न कुंडली के माध्यम से तात्कालिक समस्या का कारण तथा निवारण सरलतम ढंग से किया जा सकता है


6.मुहूर्त ज्योतिष :-शुभ घडियों से लाभ एवं अशुभ घडियों से किस तरह बचा जाए ?यह मुहूर्त ज्योतिष द्वारा जाना जा सकता है


7 .कृष्ण मूर्ति पद्यति:-चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता है उसी आधार पर दाशानाथ -भुक्तिनाथ ,अन्तर्दशा एवं प्रत्यंतरदशा ज्ञात होते है इसी आधार पर सभी ग्रहोंके नक्षत्रपति,नक्षत्रांशपति ,नक्षत्रअंश ,नक्श्त्रंशपति पर विचार कर भविष्य कथन किया जाता है


8.जैमिनी ज्योतिष :-महर्षि जैमिनी द्वारा प्रणित जैमिनी -सूत्र नामक महत्वपूर्ण ग्रन्थ जो भविष्य कथन करने की चमत्कारिक विद्या है ,जो ग्रहों के कारकत्व पर आधारित है


9.चीनी ज्योतिष :-चीन की प्राच्य विद्यामें ज्योतिष के संपूर्ण राशिः चक्रो को १२ पशुओं में नामांकित राशियों में बँटा गया है तथा चीन की पूर्व सभ्यता में चिह्नों के आधार पर फल कथन की परम्परा रही है


10.वास्तु ज्योतिष :-गृह निर्माण के लिए भूखंड का चयन परम आवश्यक है ठीक उसी तरह भूस्वामी का अपना नाम राशिः नक्षत्र ग्रह आदि की स्थिति भी गृह के भीतर होने वाले समस्त शुभ अशुभ कार्यो को प्रभावित करता है जिसे इस विद्या के मध्यम से सरल एवं सहज बनाया जा सकता है


11.रत्ना ज्योतिष :-पंचतत्वों से ब्रम्हांड की उत्पत्ति हुई है इन्ही पंचतत्वों से मानव शरीर भी बना है जन्म कालीन ग्रहों के अनुसार किसी तत्व की कमी मानव शरीर में रत्नों द्वारा रश्मियों के सामंजस्य से पुरा किया जा सकता है


12. चिकित्सा ज्योतिष:-यह ज्योतिष शास्त्र की महत्वपूर्ण शाखा है जिसमे आयुर्वेद का महत्वपूर्ण स्थान है जन्म समय में ग्रहों राशियों एवं नक्षत्र के गुन दोष के आधार पर रोगका पता लगाया जा सकता है


13.अध्यात्म ज्योतिष :-जन्म कालीन ग्रह मानव के बाह्य जीवन के साथ साथ भीतर के भी संसार को प्रभावित करता है अध्यात्म ज्योतिष निराकार एवं जीवन रूपी विराट सत्ता के रहस्यों को साक्षीभुत करता है आत्मा के अध्यन से ही शरीर की प्रकृति निर्भर है

 

ज्योतिष के बारे में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें
यदि आप इस तरह का ब्लॉग बनाना चाहते हैं, 
तो आज ही 9627605151 पर कॉल करें,
या यहां क्लिक करें

About the author

Avatar

Mayavi Guruji

Leave a Comment